Call us to get Kaal Sarp, Pitra Dosh and Mangal Dosh Santhi Puja done in a low cost at Ujjain!
Call us now to get Kalsarp Pitra Dosh and Managal Dosh Puja done ion a low cost.
Famous and Best Pandit

Pandit Shubham Guruji

Kalsarp Shanti Pooja with all new samgari, fresh flowers, new cloths for yajman. Contact Pandit Shubham Guruji for Kaal Sarp Puja in Ujjain

Book Pandit Now +91 9399387977

कालसर्प दोष क्या है?

जब भी इस पृथ्वी पर कोई आत्मा मनुष्य शरीर मे आती है अर्थात उसका जन्म होता है।ये भाग्य निर्धारन उसकी कुंडली के रूप मे प्रत्यक्षहः परिलंक्षित होता है । वह कुंडली उस बालक का भाग्य बताती है। उन बारह भावो मे जो ग्रह स्थित होते है जब जन्म कुंडली मे ग्रहो का एक दूसरे के साथ मेल सम्बंध होता है।

तब कई प्रकार के योग बनते है तो कोई योग होता है ,तो कोई दोष होता है। लेकिन जब राहू-केतू के मध्य सारे ग्रह आ जाना तब इस योग को कालसर्प दोष कहते है । इसको कालसर्प इसलिए बोला गाया है ,कि राहु को अधिपति देवता काल है ओर केतु को अधिपति देवता सर्प है ।संभवत: इस दोष के परिणाम अतिकष्त्कारी बड़े कष्टदायक होते है इसे कालसर्प योग को स्थान पर कालसर्प दोष भी कहा जाता है ।जिस जातक कि कुंडली मे योग निर्मित हो रहा है|

उसे अपनी मेहनत के अनुरूप परिणाम नहीं मिल रहा है ।उसका जीवन संघर्ष मे व्यतीत हो रहा है विवाह नहीं हो रहा है अथवा विलम्भ से हो रहा है | वेवाहिक जीवन कलेश से भरा हुआ है ।मन अशांत रेहता है ओर अब ये बात सिध्य हो चुकी है कि कालसर्प का अस्तित्व है।वर्तमान मे कालसर्प योग कि चर्चा पूरे विश्व मे हो रही है।महर्षि वराहमिहिर व पाराशर आदि ज्योषायायो ने अपने ग्रंथ मे कालसर्प योग को मान्यता प्रदान की है।इसके अलावा जिन ग्रंथो मे अपने योग की चर्चा कि है, उनये महर्षि भयु वादरायण गर मणित्थ आदि प्रमुख है।


Ujjain Kaal Sarp Shanti Puja Talk 9399387977 Whatsapp 9399387977

कालसर्प दोष के लक्षण क्या है

1. कार्य क्षेत्र मे अवरोध बार-बार रुकावट आना।
2. पड़ाई मे अवरोध आना।
3. सर्प का भय बना रहना।
4. भोजन मे बाल आना।
5. बुरे-बुरे स्वप्न आना।
6. बिस्तर मे पेशाब करना।
7. अपने आप की स्वप्न मे उड़ते मुह देखना।
8. अपने घर मे सापों का बसेरा रहना सर्प का काटना भी हो सकता है।

शासकीय संस्कृत महाविधायल से उपाधि प्राप्त पंडित शुभम् गुरूजी से आज अपनी कुंडली दिखाये ओर कालसर्प दोष के बारे मे अधिक जाने व उसका निवारण पूरे विधि विधान से उज्जैन मे करवाए, अपनी पूजा के लिए कॉल करे या व्हाट्सएप मैसेज भी कर सकते हैं मोबाइल नंबर पर ।


Ujjain Kaal Sarp Dosha Puja Talk 9399387977 Whatsapp 9399387977

कालसर्प पुजा किसको करवानी चाहिए-

1.अनंत कालसर्प योग-

जब राहु और केतु कुंडली में पहली और सातवीं स्थिति में रहते है, तो यह अनंत कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव के इस संयोजन से किसी व्यक्ति को अपमान, चिंता,पानी का भय हो सकता है।

2.कुलिक कालसर्प योग-

जब एक कुंडली में दूसरे और आठवें स्थान पर राहु और केतु होते है तो इसे कुलिक कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को मौद्रिक हानि, दुर्घटना, भाषण विकार, परिवार में संघर्ष हो सकता है।

3.वासुकि कालसर्प योग-

जब एक कुंडली में राहु और केतु तीसरे और नौवें स्थान पर होते है तो यह वासुकी कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से एक व्यक्ति को रक्तचाप, अचानक मौत और रिश्तेदारों के कारण होने वाली हानि से होने वाली हानि का सामना करना पड़ता है।

4.शंकपाल कालसर्प योग-

जब कुंडली में चौथी और दसवीं स्थिति में राहु और केतु होते है तो यह शंकपाल कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को दुःख से पीड़ित होना पड़ सकता है, व्यक्ति भी पिता के स्नेह से वंचित रहता है, एक श्रमिक जीवन की ओर जाता है, नौकरी से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

5.पदम् कालसर्प योग-

जब एक कुंडली में पांचवीं और ग्यारहवीं स्थिति में राहु और केतु होते है तो यह पद्म कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से किसी व्यक्ति को शिक्षा, पत्नी की बीमारी, बच्चों के असर में देरी और दोस्तों से होने वाली हानि का सामना करना पड़ सकता है।

6.महापदम कालसर्प योग-

जब एक कुंडली में छठे और बारहवीं स्थिति में राहु और केतु होते है तो यह महा पद्म कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को पीठ के निचले हिस्से में दर्द, सिरदर्द, त्वचा की बीमारियों, मौद्रिक कब्जे में कमी और डेमोनीक कब्जे से पीड़ित हो सकता है।

7.तक्षक कालसर्प योग-

जब राहु और केतु कुंडली में सातवीं और पहली स्थिति में होते है तो यह तक्षक कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से व्यक्ति को आपत्तिजनक व्यवहार, व्यापार में हानि, विवाहित जीवन, दुर्घटना, नौकरी से संबंधित समस्याओं, चिंता में असंतोष और दुःख से पीड़ित हो सकता है।

8.कार्कोटक कालसर्प योग-

जब राहु और केतु कुंडली में आठवीं और दूसरी स्थिति में होते है तो यह कार्कौतक कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव से किसी व्यक्ति को पूर्वजों की संपत्ति, यौन संक्रमित बीमारियों, दिल का दौरा, और परिवार में खतरे और खतरनाक जहरीले प्राणियों के नुकसान से पीड़ित होना पड़ सकता है।

9.शंखनाद कालसर्प योग-

जब एक कुंडली में नौवें और तीसरे स्थान पर राहु और केतु होते है तो यह शंखनाद कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों का यह संयोजन विरोधी धार्मिक गतिविधियों, कठोर व्यवहार, उच्च रक्तचाप, निरंतर चिंता और किसी व्यक्ति के हानिकारक व्यवहार की ओर जाता है।

10.घातक कालसर्प योग-

यह योग तब उठता है जब राहु चौथे घर में और दसवें घर में केतु हैं। कानून द्वारा मुकदमेबाजी की समस्या और सज़ा विवाद व्यवहार के लिए संभव है। हालांकि यदि यह योग सकारात्मक रूप से संचालित होता है तो इसमें राजनीतिक शक्तियों के उच्चतम रूपों को प्रदान करने की क्षमता होती है।

11.विशधर कालसर्प योग-

जब राहु और केतु को कुंडली में ग्यारहवीं और पांचवीं स्थिति में होते है तो यह विशाधर कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के प्रभाव के संयोजन से एक व्यक्ति अस्थिर बना सकता है।

12.शेषनाग कालसर्प योग-

जब राहु और केतु को कुंडली में बारहवीं और छठी स्थिति में होते तो यह शेषनाग कालसर्प योग कहा जाता है। ग्रहों के संयोजन से हार और दुर्भाग्य होता है। कोई भी आंख से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हो सकता है और गुप्त शत्रुता और संघर्ष और संघर्ष का सामना कर सकता है।

यह बारह प्रकार के कालसर्प राहु-केतु की अलग-अलग स्थिति पर आधारित है ।अब आपकी कुंडली मे कोनसा कालसर्प है ,यह जानने के पंडित शुभम् गुरूजी लिए से संपर्क करे।


Ujjain Kaal Sarp Shanti Puja Talk 9399387977 Whatsapp 9399387977
Shape
Online Book Pandit Ujjain

Ujjian Kaal Sarp Puja Dosh Nivaran

कालसर्प शांति करने से 9 विभिन्न प्रकार के सांपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालसर्प शांति पूजा के साथ राहु और केतु पूजा सफलता के द्वार खोलती है। नाग की सोने की मूर्ति की पूजा करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

उज्जैन में इसका महत्व इसलिए हे कि बाबा महाकाल के चरणों मे ओर शिप्रा मोक्षदायिनी के अंगारेश्वर मंदिर पर निवारण होता है।

पितृदोष की पूजा पूरी विधि विधान से साथ उज्जैन मे करवाए।उज्जैन में पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है।

हम पंडित शुभम् उज्जैन में कालसर्प योग का ओर सभी प्रकार की पूजा का वैदिक पद्ति द्वारा निवारण करते है ओर जीवन मे आने वाली सभी समस्याओं का निवारण ईस्ट देव बाबा बड़ली भैरव एवं माँ बगलामुखी की असीम कृपा से करते है|


Book Pandit Now +91 9399387977
About About